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ये कुछ बातें हैं जो वैसे तो बेकार हैं लेकिन तुम सबको बतानी ज़रूरी हैं , दिल से निकले कुछ शब्द हैं बस ढूँढ रहे हैं ठिकाना जहाँ कोई इनको सुन सके कुछ ये कह सके और महसूस हो तो कुछ तुम भी बायाँ कर सको

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सब बिछड़ जाएँगे

हर रोज़ मिलेंगे फिर बिछड़ जाएँगे यादों के सहारे महफ़िल में उतर जाएँगे लोग मिलेंगे ओर गले लगाएँगे हमें फिर देर रात सब अपने अपने घर जाएँगे...

प्यार के अलावा कुछ नहीं आता

हूँ सुनाता शायरी किसी और की जानेमन मुझे इझार करना नहीं आता . और गौर से सुन ना ज़रा अल्फ़ाज़ मेरे वो क्या है ज़ाहिर जज़्बाद करना नहीं आता...

आवारा

तेरा दूर जाना गवारा नहीं लगता तेरे बिना कोई शख़्स हमारा नहीं लगता . यूँ तो समुन्दर में बहता जा रहा हूँ खामखाँ में किनारे होते हुए भी...

मिली है अब राहत “इंदौरी”

बिछड़ा रहा, सुकून से मैं अब जा कर चाहत मिली मिली तो है कई दफ़ा मगर अब जाकर राहत मिली बाँहें लगे हैं कैद सी जो गोध माँ की अब मिली हाँ मिली...

अकेला सफ़र अजनबी मंज़िल

मैं वो नहीं या वो नहीं है मुझमें जो था कभी अब कोई कमी नहीं है मुझमें फिर भी परेशान हूँ इस कमाए हुए मंज़र से हैरान हूँ बहुत बातें की, कई...

जीमेदारियाँ

ज़िम्मेदारीयो का इतना भार है सर पे के जीना भूल गया हुँ . मैं मेहनत के रास्ते पर चलते चलते बोहत दूर गया हुँ . दिन रात सोचता हुँ हर किसी के...

बिछड़ूँगा तो मर जाऊँगा

महकना सीखा है तुमसे महकता ही जाऊँगा एक तेरा दर छोड़ कर भला मैं किधर जाऊँगा एक रौशनी सी हो तुम मुश्किलों में पला मैं अगर तुम मिल जाओ इस...

हादसा-ए-मोहब्बत

एक हादसा पुराना है मोहब्बत का अफ़साना है दर्द में जीते हैं हम मुस्कान तो बहाना है तुम देखते हो शोहरतें या देखते हो दौलतें मेरे पास यार...

तबियत

आज थोड़ी तबियत ख़राब है मेरी हाल नहीं पूछोगी मेरा ? पूछोगी नहीं के कुछ खाया या नहीं पूछोगी नहीं ठीक से सोया या नहीं ? माँ की तरह कान खींच...

एक खुआब

के एक खुआब था जो सताता था मुझे उसने इश्क़ किया ही नहीं पर जताता था मुझे सारे क़समें वादे तोड़ कर मेरी छोटी छोटी ग़लतियाँ गिनाता था मुझे...

उड़ान

रोज़ ये जो भीड़ भागती है इसी भीड़ का हिस्सा हो तुम फ़िलहाल कोई जानता नहीं तुमको एक अनसुना सा क़िस्सा हो तुम क्या खाना खाया या बोहात बिमार...

शून्य

पहले दिन से ही शुरू हुआ प्यार इस कदर गुरु हुआ मैंने चाहत में खुदा किया उसने दो पल में जुदा किया मैंने पूछा तो पलट गया वो ग़ैरों से लिपट...

नया साल

एक और साल गुज़र गया कुछ बदले लोग,कुछ मैं बदल गया कोई अपना था मिल गया कोई पराया था बिछड़ गया किसी की यादें थी जल गयीं कुछ वक्त था गुज़र...

सभी एक से हैं

यहाँ सभी एक से दिखते हैं नक़ाब कम आज कल चेहरे ज़्यादा बिकते हैं और कह के , के भूल जाएँगे तुम्हें एक दिन मूसलसल बरसो सें तुम्हारे लिए...

मेरे पास ही रहना

जब हार जाऊँगा खुद से तुम जीत बनोगी ना मेरी ? छोड़ कर हाँथ सबका,मीत बनोगी ना मेरी . जब खो जाऊँगा अंधेरे में जब रो जाऊँगा अकेले में . जब...

उम्मीद

मैं रोज़ रात घर लौटता हुँ एक नयी उम्मीद लेके . कुछ दुख कुछ दर्द लेके . एक आस कुछ फ़र्ज़ लेके . कुछ वक्त कुछ नींद खोके . मैं रोज़ रात घर...

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