सब बिछड़ जाएँगे
हर रोज़ मिलेंगे फिर बिछड़ जाएँगे यादों के सहारे महफ़िल में उतर जाएँगे लोग मिलेंगे ओर गले लगाएँगे हमें फिर देर रात सब अपने अपने घर जाएँगे...
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ये कुछ बातें हैं जो वैसे तो बेकार हैं लेकिन तुम सबको बतानी ज़रूरी हैं , दिल से निकले कुछ शब्द हैं बस ढूँढ रहे हैं ठिकाना जहाँ कोई इनको सुन सके कुछ ये कह सके और महसूस हो तो कुछ तुम भी बायाँ कर सको